Wednesday, May 15, 2013

yahin kahin



चल मिल कर ढूंढे उस एहसास को जो कल यहीं कहीं छूट गया था 
झोली से कुछ पल यहीं कहीं गिर गए थे कल चलते चलते 
यहीं कहीं रह गयी थी कुछ पुरानी धुंधली यादें 
चल यहीं कहीं कर ले बसेरा अब, और थम जा ए ज़िन्दगी 

यहीं कहीं से ख्यालों के जंगल का रास्ता निकलता था  
अरमानों  के तालाब में हमने  डुबकी लगायी थी यहीं कहीं 
कोई यहीं कहीं से  हमें रोज़ न जाने क्यूँ  पुकारता था 
चल यहीं कहीं कर ले बसेरा अब, और थम जा ए ज़िन्दगी 


कुछ आहटें बंद कमरों में सुनाईं दी थीं यहीं कहीं 
यहीं कहीं कुछ बूंदे सूखी खुशियों पर बरसीं थीं  
हमने खुद अपने अक्स को पुकारा था यहीं कहीं 
चल यहीं कहीं कर ले बसेरा अब, और थम जा ए ज़िन्दगी 


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