कुछ सुख गए थे आंसू , कुछ गीले गीले रह गए थे ,
कुछ खोया, पर कुछ तो पाया भी था हमने,
फिर भी कुछ खाली खाली रह गए थे ।
बस कुछ कदम भर चलीं, और घड़ी की सुईयां रुक सी गई थी
इन पैरों के छालों को देख फिर, कुछ जीने का यकीं हुआ था
लो संभालो अपने एहसासों को, कुछ ख़ामोश बातें ये कह गए थे ।
कुछ सुख गए थे आंसू , कुछ गीले गीले रह गए थे ।
कुछ सुख गए थे आंसू , कुछ गीले गीले रह गए थे ,
कुछ खोया, पर कुछ तो पाया भी था हमने,
फिर भी कुछ खाली खाली रह गए थे ।
ज़िन्दगी ने आहट भी नहीं की, न जाने कब आकर जाने का संदेसा दिया था
ख़ुशी दस्तक देने ही लगी थी, फिर क्यूँ उसने यूँ मुंह मोड़ लिया था
न अफ़सोस करो उन अरमानों का, जो समय की आंधी में बह गए थे
कुछ सुख गए थे आंसू , कुछ गीले गीले रह गए थे ।
कुछ सुख गए थे आंसू , कुछ गीले गीले रह गए थे ,
कुछ खोया, पर कुछ तो पाया भी था हमने,
फिर भी कुछ खाली खाली रह गए थे ।
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