हम लिख रहे हैं पर क्या, यह न जाना हमने
हो सकता है वो पड़ने के बाद हमें भी समझा दें
इस कदर स्याही बह रही है कलम से
शब्दों के तालाब में आओ खुद को डुबा दें
एक समय, समय नहीं था किसी के लिए भी
घडी की सुइयों को आओ आज रुकवा दें
कहने से डरते रहे ज़िन्दगी भर जो हम
आओ ख्याल अपने वो सबको बता दें
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