Monday, April 29, 2013

darwaza khula hai !



दरवाज़ा खुला है, आजाओ एहसास की हवाओं ,
आज तुमसे लिपट कर रोने का जी कर रहा है । 

दरवाज़ा खुला है, आजाओ ख़ुशी की बूंदों,
तुमको समेटकर, सुखा कर, कल के लिए डब्बे में बंद कर लूं । 

दरवाज़ा खुला है, आजाओ ग़मों के सायों,
फिर तुमको मलहम लगा कर, मुंह फेर लूं तुमसे, तुमको भूलकर ।

दरवाज़ा खुला है, आजाओ प्रीतम,
इक बार तुम्हे देख लूँ आँखें बंद होने से पहले । 

दरवाज़ा खुला है, आजाओ समय 
जी ली है ज़िन्दगी तेरे ही इंतज़ार में । 

अब बंद कर लो दरवाज़ा,  
नहीं आयेगा कोई, इस खंडहर में घुमने को,
कुंडी लगा लो, 
ताकी बची हुई यादें भी न छोड़ जायें यूँ अकेला 

दरवाज़ा खुला है, आखरी बार 
समेट लो सब सामान जो ले जा सको अपने साथ 
रह जायेगा दरवाज़ा खुला 
पर बंद हो जायेंगे उस दरवाज़े की और जाने वाले सब रास्ते । 




2 comments:

  1. beautiful but sad..

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  2. hi anonymous,

    thanks for your compliment. i understand that its sad. but then poetry is the words which flow through emotions.. I write irrespective of sad or happy whatever flows automatically :)

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